Sunday, May 10, 2009

क्या होती है माँ की ममता

ईश्वर धरती पर हर जगह नहीं पहुँच सकता इसलिए धरती पर ‘माँ’ को बनाया। आज ‘मदर्स डे’ है; आज की भौतिकवादी एवं पूँजीवादी दुनिया में व्यक्ति मशीन बनता जा रहा है, संवेदनाएँ ‘मशीन’ की भेंट चढ्ती जा रही हैं। नित्य संवेदनाओं की घटती के बीच आज भी माँ के प्रति लगाव कमोबेश विद्यमान है।इस पुनीत दिवस पर मेरे व मुझ जैसों की ओर से स्मृति स्वरूप...
क्या होती है माँ की ममता
माँ की ममता को समझ सकता है वही
जो है इससे महरूम
वो क्या खाक समझेंगे
माँकी ममता का महत्तव
जिनकी भोर होती है माँके वरदहस्त तले
दुपहरी जिनकी कट जाती है
माँ के आँचल की शीतल छाँव में
निशा की कालिमा से दूर
रात्रि जिनकी बीत जाती है
माँ की स्नेहमयी गोद में।
अरे! पूछो मुझ अभागे से
क्या होती है माँ की ममता
स्निग्ध ममता के महत्तव को
समझ सका था ना मैं भी
उस पुण्यात्मा की छत्रछाया
थी जबतक मेरे ऊपर
जा बैठी रश्मि किरणों के रथ पर
चल पडी स्वर्ग की राह
रास न आया मुझे माँ का स्वर्ग जाना
मैं स्वार्थी चिल्ला पडा
माँ... माँ.... माँ.....
न जा तू छोड मुझे,न बना अनाथ मुझे
कौन खिलाएगा अपने हाथों से खाना मुझे
कौन फेरेगा स्नेहमयी हाथ मेरे माथे पर
कौन देगा गोद मुझे अब
कहाँ मिलेगी मुझे वो थपकी
कौन कहेगा सो जा मेरे मुन्ने राजा
रात बहुत अब हो गयी है।
माँ ने मेरा क्रंदन न सुना
हो गई वह स्वर्गासीन
मुझे समझ आया तब
क्या होती है माँ की ममता
संभल जाओ,
संभल जाओ ए माँ की संतानों
कर दो न्योछावर जान अपनी
क्योंकि है वो तुम्हारी जननी
वरना,पछताओगे तुम भी मेरी तरह
हाय! कर न सका कुछ माँ के लिए
चित्कार कर उठोगे
जिस माँ ने मुझे लहू से सींचा
अंत समय उसे जल भी न दे सका
तब आएगी तुम्हें भी समझ
क्या होती है माँ की ममता।

4 comments:

Udan Tashtari said...

मैं समझ गया हूँ उसे खोकर..


मातृ दिवस पर समस्त मातृ-शक्तियों को नमन एवं हार्दिक शुभकामनाऐं.

Yogesh Verma Swapn said...

bahut hi hridaysparshi aur marmik rachna. ashru ashru ashru,,,,,,,,,,,,,,,,

महेन्द्र मिश्र said...

बहुत ही भावपूर्ण . ....मदर्स दिवस की शुभकामनाये

MAYUR said...

आपका चिटठा खूबसूरत है , आपके विचार सराहनीय हैं ,
यूँ ही लिखते रहिये , हमें भी ऊर्जा मिलेगी
धन्यवाद,
मयूर
अपनी अपनी डगर
sarparast.blogspot.com