Monday, October 23, 2023

पार्कनामा (अर्थात् एक सैर ऐसा भी)

 पार्कनामा... (अर्थात् एक सैर ऐसा भी)

50 पार का व्यक्ति जब शरीर और स्वास्थ्य पर अचानक ध्यान देने की कोशिश करने लगे तो शुरुआत होती है ऊलजलूल हरकतों की। और उनमें से ही एक है पार्ट टाइम पार्कनामा।

पिछले कुछ दिनों से स्वास्थ्य को लेकर मैं थोड़ा परेशान रहा और तब स्वास्थ्य के प्रति सजग होने की कोशिश करने लगा। हालांकि यह विदित है कि मैं किसी भी चीज के प्रति कभी भी बहुत ज्यादा अवेयर नहीं रहा। पेट का साइज उम्र बढ़ने के साथ बढ़ने लगा, जिससे शरीर और भी बेडौल होने लगा। मेरे कुछ साथी हालांकि वे उम्र में मेरे से  छोटे हैं, उन्होंने अपने मेंटेन शरीर को और मेंटेन करने की जो कोशिश की और उसका जो प्रमाण मुझे दिखा, बस! मैंने भी ठान लिया कि मुझे भी अपने पेट को अंदर करना है और शुरू हुआ पार्कनामा। सुबह को जब समय मिलता है, खासकर छुट्टियों के दिन तो  उस सुबह अनमने ढंग से ही सही उठकर सैर के लिए निकल जरूर पड़ता हूँ । 

विकासपुरी के इस पार्क में विभिन्न तरह के दृश्य देखने को मिलते हैं। योग करते बुजुर्ग, लाफिंग क्लब के बुजुर्ग ठहाके लगाते हुए, संघ की शाखा में गिने चुने लोग नमस्ते सदा वत्सले... करते हुए, ओपन जिम का भरपूर आनंद उठाते हुए जवान, बूढ़े और महिलाएँ। इन सबके बीच मैं अपने को सहज करने की कोशिश करता हूँ। खासकर योग करते, ओपन जिम पर एक्सरसाइज करते, ठहाके लगाते बुजुर्ग और सर्वधर्म का नारा लगाकर भारत की सांझी संस्कृति की विरासत को संजोए ये बुजुर्ग बहुत ही प्रेरित करते हैं।

कुछ ऐसे भी मिल जाते हैं जो पार्क में अपनी घरेलू समस्याओं से दो चार करते पार्क को घर बनाते हुए...... 

बड़ा ही खूबसूरत और अजीब नजारा होता है यहाँ। क्रमशः.....