मास्को प्रवास
बहुत दिनों के बाद कुछ लिखने बैठा हूँ ।घर
से दूर ,वतन से दूर मास्को में नौक्ररी बजा रहा हूँ।पहली बार विदेश की
धरती पर कदम रखा है। ठेठ देहाती व्यक्ति हूँ। मेरी मनःस्थिति को बखूबी समझा जा सकता
है। 1अप्रैल,14 को यहाँ आना हुआ,तब से मन अस्थिर है,अभी एडजस्ट होने की कोशिश कर रहा हूँ।बहुत मायने में यहाँ अलग महसूस कर रहा हूँ।पहले
ही दिन बर्फीली हवाओं व बर्फ की चादर ढकी मास्को ने हमारा स्वागत किया। बावजूद इसके
अपने दायित्वों का निर्वहन ईमानदारी से करने की कोशिश कर रहा हूँ,आप सभी के शुभकामनाओं की दरकार है।.....
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