पे कमीशन की हवा चली
सरकारी बाबुओं के तन में झुरझुरी उठी
साहबानों के मन में गुदगुदी उठी
’पे’ के तीन- चार गुना होने की उम्मीद जगी
और सरकारी कर्मचारियों की बाँछें खिल उठीं
प्रिय लगते अखबारों- चैनलों ने खबर सुनायी
’माननीय’ अध्यक्ष ने ‘जनसेवक’ मंत्री जी को
छठे पे कमीशन की रिपोर्ट थमायी
चारों तरफ अफ़रा-तफ़री मच गई
’जनता’ काम छोड पे जोडने में मस्त हुई.
पर पे कमीशन ने सबको है भरमाया
बाहर से खुश कर अंदर से डराया
मीडिया ने नए पे स्केल को जन-जन तक पहुँचाया
सरकारीजनों की भ्रांतियों को यथासंभव दूर भगाया
पर पे स्केल ने फिर सबको मायूस किया.
अजब है पे कमीशन की ये माया
आने से पहले सरकारीजनों को गुदगुदाती है
और आ जाने के बाद उन्हीं को रुलाती है
टूट जाते हैं सबके अपने प्रिय सपने
अकडता तन ढीला पड जाता है
मन में गुदगुदी की जगह आक्रोश छा जाता है.
यूनियनों के झण्डे- बैनर खडखडाने लगते हैं
अजीब है पैसे की ये माया
उरमू- नरमू, सीटू- डूकू, एटक- इंटक
सभी बैर भाव भूल जाते हैं
पैसे की खातिर सभी एक छतरी में आ जाते हैं.
सरकारी बाबू- बाबुआनों के मन बुझ जाते हैं
सपनों की दुनियाँ से निकल हकीकत में आ जाते हैं
फिर सभी पेंडिंग फाईलों में समा जाते हैं
पे कमीशन का गुस्सा फाईलों पर उतार जाते हैं
कमीशन से ‘जनकल्याण’ न होता देख
सभी अपने ‘धंधों’ में फिर से जुट जाते हैं.
पर उम्मीद का दामन अभी भी छूटा नहीं है
पे कमीशन का सपना पूरी तरह टूटा नहीं है
कभी तो कमीशन आसमां से ठोस धरती पर आएगी
और अपनी रपट धरतीपुत्रों के लिए बनाएगी
कभी तो वह चिरप्रतीक्षित सुखद दिन लाएगी
तब अन्दर से गुदगुदाएगी, बाहर से भी हँसाएगी
आँकडों की बाज़ीगरी से ऊपर उठकर
जन- जन के आँगन में खुशियों के फूल खिलाएगी.
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8 comments:
मीडिया में पे कमीशन की बातें पढ़-सुन कर ऐसा लगता है कि मानो,
सभी सरकारी बाबू लोग अब मर्सिडीज़ गाड़ियों में घूमेंगे,
और निजी जेट विमानों में उडेंगे.
ताजमहल होटलों में रहेंगे,
फ्लैटों की तरफ तो वो थूकने भी नहीं जायेंगे.
हज्जार- हज्जार के लाल नोटों से नाक पोंछेंगे.
उनके बच्चे लन्दन और न्यू यार्क में पढ़ेंगे,
उनके कपड़े फैशन शो वाले लोग डिज़ाइन करेंगे,
और वो धुलने पेरिस जाया करेंगे.
उनकी जाहिल बीवियां अब सिर्फ ग्रीक और लेटिन बोलते हुए
पांच सितारा होटलों में रमी खेलेंगी,
बाबू लोग क्यूबन सिगार और पाइप पियेंगे.
उनके विदेशी कुत्तों को सैर करवाने सेठ लोग निकला करेंगे.
उनकी तनख्वाह और उनकी दफ़्तरी फ़ाइलों का हिसाब रखने को
प्राइस वाटर हाउस और KPMG में झगडे होंगे.
उनकी शामें रंगीन करने के लिए हॉलीवुड से बालाएं आयेंगी
और शाहरुख खान नाचेंगे.
मीडिया के मालिकों के विकट बुद्धिजीवियों को चिंता खाए जा रही है
की ऐसे में तो,
देश गड्ढे में जाने ही वाला है.
बहुत बुरा होने वाला है,
बाबू आपने काम से भटक जायेंगे.
हे प्रभु,
ये तू क्या करवा रहा है.
खैर बाबू, तू उदास न हो
ऊपर पढ़ और चिंतकों की मानिंद मस्त हो जा,
तेरे दिन तो अब फिरने ही वाले हैं
बस चंद दिन की ही बात है.
बस्स चंद दिन की ही तो बात है.
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.
वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.
डेश बोर्ड से सेटिंग में जायें फिर सेटिंग से कमेंट में और सबसे नीचे- शो वर्ड वेरीफिकेशन में ’नहीं’ चुन लें, बस!!!
aap k lekhan me zabardast sambhavnayen hain.....meri or se
shubhkamnayen hain
बढ़िया व्यथा-कथा है। स्वागत है आपका यहां ब्लागजगत में!
post bhee wah1 comment bhee. narayan narayan
बे्हतरीन रचना के लिये बधाई। यदि शब्द न होते तो एह्सास भी न होता। मेरे ब्लोग पर आपका स्वागत है। लिखते रहें हमारी शुभकामनाएं साथ है।
Bahut badhiya kavita!
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
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