नए और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन
आज का समय सूचना और तकनीक के क्रांति का समय है|इस तकनीक के कारण हमारे चारों तरफ सूचनाएँ बिखरी हुई पड़ी हैं|टी वी पर विज्ञापन आता है कि मन में उठने वाले हर वाजिब गैर वाजिब सवाल का जवाब गूगल के पास है|हालात तो ऐसे हो गए हैं कि छोटे बच्चों से लेकर युवाओं और वृद्धों तक किसी सवाल के जवाब के लिए किताब या शब्दकोश तक जाने की जहमत नहीं उठाते,सभी का जवाब नेट पर खोजना है|भरोसा सिर्फ ‘गूगल बाबा’ का है|किताबें उपेक्षित हो रही हैं| ज्ञान के भंडार के स्रोत की परिभाषा बदल रही है या यह कहना ज्यादा उपयुक्त होगा कि बदल गयी है| तकनीकी क्रांति के सकारात्मक प्रभावों से कतई इंकार नहीं किया जा सकता किन्तु इसने शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में बहुत नुकसान भी पहुँचाया है| छात्रों की रचनात्मकता और भाषाई कौशल इससे नकारात्मक ढंग से प्रभावित हुआ है| स्वयं चिंतन मनन के उपरांत किसी तथ्य को प्राप्त करने कि बजाय छात्र ‘कॉपी और पेस्ट’ में अधिक विश्वास करने लगे हैं|
‘अप्रत्याशित लेखन’ की अवधारणा के मूल में यही चिंता अन्तर्निहित है-एकांगी हो रहे भाषाई कौशल को नए सन्दर्भों और परिस्थितियों के अनुरूप विकसित करना एवं अपने भीतर के ‘स्वत्व’ को पहचानना एवं किसी विषय पर मौलिक चिंतन करने की क्षमता को बाधित होने से रोकना अर्थात भीतर के उस सोता को फूटकर अभिव्यक्त हो जाने का अवसर देना जिसे सूचनाओं के अम्बार और दबाव के कारण स्वाभाविक रूप से अभिव्यक्त होने का अवसर नहीं प्राप्त हो पाता है| सरल शब्दों में कहा जाए तो अप्रत्याशित विषयों पर लेखन कम समय में अपने विचारों को संकलित कर उन्हें सुन्दर और सुघड़ ढंग से अभिव्यक्त करने की चुनौती है|
विचार कीजिए कि आप अपने परिवार या मित्रों के साथ किसी स्थान की यात्रा पर कब गए थे ? शायद कुछ दिन या कुछ महीने पहले| वहाँ से आने के बाद आपके मन में उस स्थान के स्मृति चिह्न ज़रूर रहे होंगे| क्या वहाँ से आकर उस यात्रा के बारे मे आपने किसी से चर्चा की ? परिवार के दूसरे सदस्यों,मित्रों या पड़ोसियों से| अब सोचिए अपने उन स्मृति चिह्नों को आप शब्दों में पिरोकर एक व्यवस्थित लेख की शक्ल दे सकते हैं|
आप जब घूमने गए होंगे तो उसके पहले आपने काफी तैयारियाँ की होंगी उस स्थान को लेकर यात्रा को आपके मन मे अनेक उत्सुकताएँ रही होंगी| यात्रा शुरू करने से लेकर यात्रा समाप्त होने तक अनेक रोमांचक अनुभव आपके अनुभव क्षेत्र में जुड़े होंगे,जैसे स्थल मार्ग से जाते हुए अनेक नए स्थलों बाज़ारों का दृश्य, दूर तक फैले खेत खलिहान नदी झरने पहाड़ों की ऊँची- ऊँची चोटियाँ और अगर हवाई यात्रा हुई तो नीले आसमान मे बादलों के बीच उड़ते हुए नीचे नदियाँ, समंदर, पहाड़ों की बर्फीली चोटियाँ| क्या उन स्मृतियों को आप शब्दों के सहारे पन्नों पर उकेर सकते हैं? वास्तव मे यात्रा करना अलग बात है किन्तु यात्रा से प्राप्त अनुभव को रोचक तरीके से व्यवस्थित लेख के रूप मे शब्दबद्ध खासा चुनौतीपूर्ण है|
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अप्रत्याशित शब्द का क्या अर्थ है?
जिसकी आशा न की गई हो। (अ+प्रति+आशा+इत=अप्रत्याशित)
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अप्रत्याशित विषयों पर लेखन क्या है?
ऐसे विषय जिसकी आपने कभी आशा भी न की हो उस पर लेखन कार्य करना ही अप्रत्याशित विषयों पर लेखन कहलाता है। विषय कोई भी हो सकता है जो पहले से पढ़ा नहीं यानी रटा रटाया नहीं हो वही अप्रत्याशित लेखन का विषय हो सकता है।
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पारंपरिक और अप्रत्याशित विषयों में अंतर-
पारंपरिक विषय वो विषय होते हैं जो किसी मुद्दे, विचार, घटना आदि से जुड़े होते हैं और अधिकतर सामाजिक और राजनीतिक विषय होते हैं। इसमें आप अपनी व्यक्तिगत राय को उतनी तवज्जह न देकर सामूहिक विचार पर ज़ोर देते हैं, जबकि अप्रत्याशित विषयों पर लेखन में आपके अपने निजी विचार होते हैं।
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अप्रत्याशित विषयों पर लेखन से लाभ-
1 ये आपकी मौलिक रचना होगी।
2 इसमें आप अपने विचारों को किसी तर्क, विचार के माध्यम से पुष्ट करने की कोशिश करेंगे।
3 इससे आपके लेखन कौशल में अत्यधिक विकास होगा।
4 इससे भाषा पर आपकी अच्छी पकड़ बनेगी।
5 अप्रत्याशित विषयों पर लेखन कम समय में अपने विचारों को संकलित कर उन्हें सुंदर और सुघड़ ढंग से अभिव्यक्त करने की चुनौती है।
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अप्रत्याशित विषयों पर लेखन के विषय क्या हो सकते हैं?
ये विषय कुछ भी हो सकते हैं, जैसे- झरोखे से बाहर, सावन की पहली झड़ी, परीक्षा के दिन, मेरे मुहल्ले का चौराहा, मेरा प्रिय टाइम पास आदि |
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अप्रत्याशित विषयों पर लेखन के नियम-
1 आप इसमें ‘मैं’ शैली का प्रयोग कर सकते हैं।
2 विविध कोणों से विषय पर विचार कर लें।
3 विवरण और विवेचन सुसंबद्ध और सुसंगत हो।
4 भाषायी शुद्धता पर विशेष ध्यान दें।
5 मौलिकता और रचनात्मकता दिखाएं।
6 अपने मन की बात लिखें, अपने ढंग से
7 प्रभावी भाषा और प्रवाह को बनाएंगे।
नए और अप्रत्याशित विषय पर लेखन का उदाहरण
पापा का जन्मदिन पर उपहार
उपहार किसे प्यारे नहीं लगते |
मैं पूरे वर्ष अपने जन्मदिन का इंतजार करता ताकि ढेर सारे उपहार मुझे मिल सकें | मैं हमेशा मार्च महीने का इंतजार बेसब्री से करता हूँ और अब वह आरंभ हो चुका है |
वैसे तो मार्च में परीक्षा का भय लगा रहता है लेकिन मैं होनहार विद्यार्थियों में
से एक हूँ तो मुझे अपने जन्मदिन की फ़िक्र रहती है न कि परीक्षा की |
कल मेरा
जन्मदिन है और चौबीस घंटे का समय मेरे लिए व्यतीत करना कौतूहल से भरा है | माँ और
बड़ी दीदी मेरे जन्मदिन की तैयारी के लिए सामान लेने बाज़ार गई हैं| दीदी को मेरा
टेस्ट पता है इसलिए पक्का वह चॉकलेट केक का ही ऑर्डर देगी | वैसे वह मुझसे लड़ती
बहुत है पर मुझे लाड भी बहुत करती है | माँ ने मुझे एक अच्छी ड्रेस देने का वादा
किया था | मेरे कपड़ों का चयन माँ ही करती है और मुझे वे अच्छे भी लगते हैं | मेरे
बहुत सारे दोस्त भी हैं और उन सभी को कल मैंने आमंत्रित किया है | वे सभी मेरे लिए
एक से एक अच्छे उपहार लेकर आते हैं और जब मैं उनके दिए उपहारों को एक-एक करके खोलता
हूँ तो वह समय मेरे लिए बड़ा उत्सुकता का होता है | लो, एक ख़ास व्यक्ति को तो मैं
भूल ही गया और वह हैं मेरे पापा | पर उनके द्वारा दिया जाने वाला उपहार मेरे लिए
अभी रहस्य बना हुआ है |
आज मेरा
जन्मदिन है और केक काटने की लगभग सभी तैयारियाँ हो चुकी हैं| मेरे सभी दोस्त आ
चुके हैं और उनके हाथों में मेरे लिए रंग-बिरंगे गिफ्ट पेपर में पैक किए गए उपहार
भी हैं पर पापा का उपहार नज़र नहीं आ रहा | वे खाली हाथ खड़े हैं | कहीं वे मेरा उपहार
लाना भूल तो नहीं गए | नहीं, ऐसा नहीं हो
सकता | खैर, माँ ने अब केक काटने के लिए कहा और मेरे सभी दोस्त मेरे इर्द-गिर्द
इकट्ठे हो गए | केक काटने के साथ ही सभी मुझे जन्मदिन की बधाइयाँ देने लगे और मेरे
हाथ उपहारों से भर गए पर, पापा कहीं गायब
थे | कुछ ही पलों में पापा मेरे सामने प्रकट हुए अपने उपहार के साथ, जिसे देखकर
मैं हैरानी के साथ-साथ बहुत उत्सुक भी था और वह थी – साइकिल | सभी के उपहार बड़े
प्यारे थे लेकिन मेरे इस जन्मदिन पर मेरे लिए पापा का दिया गया उपहार सबसे प्यारा
था |
अभ्यास हेतु नए और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन हेतु कुछ सुझावात्मक विषय
यह सच है कि इस तरह के लेखन के लिए विषय का कोई निश्चित दायरा नहीं तय किया जा सकता फिर भी छात्रों के अभ्यास के लिए कुछ विषय दिए जा रहे हैं जो उनके लेखन क्षमता को परखने एवं बेहतर बनाने में मददगार साबित होंगे-
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ऑनलाइन परीक्षा का मेरा पहला अनुभव
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पढाई ऑनलाइन लेकिन परीक्षा ऑफ़ लाइन
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लॉकडाउन के दौरान दिन रात घर की चार दीवारी में कैद जीवन
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सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग की समस्या
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आज के समय में कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है
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इस देश में चुनाव एक उत्सव है
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गरीब के जीवन की कोई कीमत नहीं होती !
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मैं अंतरिक्ष में जाऊँगा तो...
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आजादी की 100वीं वर्षगाँठ पर मेरा देश मेरी नज़र से
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